खटाई में पड़ता दिख रहा Future-Reliance Deal, तो क्या रिलायंस का नहीं होगा Big Bazaar?

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Future-Reliance Deal
Future-Reliance Deal, तो क्या रिलायंस का नहीं होगा पायेगा Big Bazaar

Big Bazaar: रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने शनिवार को एक रेग्युलेटरी अपडेट में कहा, कि ‘फ्यूचर रिटेल के अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स और शेयरहोल्डर्स ने इस डील के पक्ष में मतदान दिया है।’

Future-Reliance Deal : तकरीबन पौने दो साल मामला खिंचने और लगातार प्रयासों के बाद भी फ्यूचर रिटेल (Future Retail) और रिलायंस (Reliance) के बीच होने वाली डील खटाई में पड़ गई है। साफ शब्दों में कहें तो Future-Reliance Deal अब संभव नहीं है। दरअसल, फ्यूचर रिटेल (Future Retail) के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स (Secured Creditors) ने इस डील के विरोध में मतदान किया। जिसके चलते अब इसे अंजाम तक पहुंचना संभव नहीं दिख रहा।

हालांकि, ये खबर एक विदेशी समाचार एजेंसी के जरिये बाहर आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने शनिवार को एक रेग्युलेटरी अपडेट में कहा, कि ‘फ्यूचर रिटेल के अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स और शेयरहोल्डर्स ने इस डील के पक्ष में मतदान दिया है। मगर, कंपनी के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स के इस डील के खिलाफ वोट देने से इस डील को पूरा नहीं किया जा सकता।’ बता दें कि, फ्यूचर रिटेल का स्टोर बिग बाजार (Big Bazaar) के नाम से जाना जाता है।

जानें पक्ष और विरोध में कितने प्रतिशत वोट

इससे पहले, फ्यूचर रिटेल ने शुक्रवार को बताया था कि, इस डील को लेकर उसने शेयरहोल्डर्स और क्रेडिटर्स की मंजूरी के लिए वोटिंग प्रक्रिया पूरी कर ली है। सिक्योर्ड क्रेडिटर्स की श्रेणी में इस डील के पक्ष में 30.71 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि 69.29 फीसदी ने इसका विरोध किया। वहीं, शेयर होल्डर्स की कैटेगरी में इस डील के पक्ष में 85.94 प्रतिशत और विरोध में 14.06 फीसदी वोट पड़े। इसी कड़ी में, अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स में 78.22 प्रतिशत ने इसका पक्ष लिया, जबकि 21.78 फीसद ने इसके खिलाफ रहे।

ऐसे समझें क्या है पेंच

आम आदमी के लिए यह समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। आपको बता दें कि, किसी कंपनी के लिए सिक्योर्ड क्रेडिटर्स बेहद अहम होते हैं। क्योंकि, कंपनी की संपत्ति (Asset) बिकने की नौबत आने पर पेमेंट के मामले में उन्हें अनसिक्योर्ड क्रेडिटर्स के ऊपर वरीयता दी जाती है। ऐसे में नियमों के अनुसार, इस डील को पूरा करने के लिए कंपनी को बैठक में मौजूद सभी क्रेडिटर्स में से 51 प्रतिशत के वोट पक्ष में चाहिए थे। मगर, इन 51 फीसद क्रेडिटर्स द्वारा कंपनी को दिए गए कर्ज का मूल्य कुल कर्ज के 75 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए। कंपनी के कुल कर्ज में 80 फीसद हिस्सेदारी स्थानीय की है।

अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने लगाया अड़ंगा

उल्लेखनीय है कि, मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस (Reliance) ने देश के रिटेल सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अगस्त 2020 में ही फ्यूचर ग्रुप (Future Group) के रिटेल बिजनेस को खरीदने के लिए 24,713 करोड़ रुपए की डील की थी। लेकिन, इस डील में अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन (Amazon) ने कानूनी अड़ंगा लगा दिया। जिसके बाद, इस मामले में सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत से लेकर प्रतिस्पर्धा आयोग और देश की सुप्रीम कोर्ट तक गया। लेकिन सब बेनतीजा रहा।

रिलायंस ने टेकओवर शुरू कर दिया था

रिलायंस ने हाल ही में फ्यूचर ग्रुप के बिग बाजार सहित अन्य स्टोर का लीज डॉक्यूमेंट गिरवी होने के नाम पर टेक ओवर करना शुरू कर दिया था। इस डील को लेकर विवाद यहीं नहीं थमा। इससे जुड़े एक अन्य मामले में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी NCLT ने इसी साल 28 फरवरी को फ्यूचर ग्रुप को एक आदेश दिया था, कि वह डील पर अपने शेयर होल्डर्स और क्रेडिटर्स की मंजूरी ले। जिसके बाद समूह ने इसके लिए बैठक बुलाई। इस बैठक को अमेजन ने अवैध करार दिया।

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अब क्या होगा?

क्रेडिटर्स के इस डील के विरोध में फैसला लेने के बाद अब फ्यूचर रिटेल को NCLT में दिवाला प्रक्रिया का सामना करना होगा। ज्ञात हो कि, पिछले सप्ताह ही कंपनी को लोन देने वाले सरकारी बैंक (Bank of India) ने NCLT में कंपनी के खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू करने की याचिका दायर की थी।

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