अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़े कदम में चीन पर लगाए गए टैरिफ की समय सीमा को 90 दिनों के लिए बढ़ा दिया है। यह निर्णय 11 अगस्त 2025 को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर के साथ लिया गया, जिससे अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव में एक अस्थायी राहत मिली है। यह कदम तब उठाया गया जब 12 अगस्त को मध्यरात्रि तक की मूल समय सीमा समाप्त होने वाली थी, जिसके बाद टैरिफ दरों में भारी वृद्धि की संभावना थी।
व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है, और यह फैसला ट्रंप द्वारा पत्रकारों के सवालों से बचने के कुछ घंटों बाद आया, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या वे डेडलाइन बढ़ाएंगे। आइए इस विकास, इसके कारणों, और इसके वैश्विक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
ट्रंप का फैसला: समय सीमा विस्तार क्यों?
ट्रंप ने इस विस्तार को चीन के साथ चल रही उत्पादक वार्ताओं को सुगम बनाने के लिए जरूरी बताया है। उनका मानना है कि यह कदम व्यापार असंतुलन, अनुचित व्यापारिक प्रथाओं, अमेरिकी निर्यात के लिए बाजार तक पहुंच बढ़ाने, और राष्ट्रीय सुरक्षा व आर्थिक मामलों पर संरेखण जैसे मुद्दों को सुलझाने में मदद करेगा।
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वर्तमान में, चीन से आयातित वस्तुओं पर 30% टैरिफ लागू है, जिसमें 10% आधार दर और 20% फेंटेनाइल से संबंधित अतिरिक्त टैरिफ शामिल हैं। यह विस्तार 10 नवंबर 2025 तक प्रभावी रहेगा, और इस दौरान 10% पारस्परिक टैरिफ बना रहेगा।
ट्रंप ने चीन के सहयोग की सराहना करते हुए कहा, “हम देखेंगे कि क्या होता है। इससे यह संकेत मिलता है कि वाशिंगटन और बीजिंग के बीच बातचीत अभी भी जारी है और दोनों पक्ष एक स्थायी समाधान की तलाश में हैं।”
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यह बयान उनके उस रुख को दर्शाता है, जिसमें वे चीन के साथ संबंधों को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर रूस से तेल खरीदने के बाद भी भारत पर 50% टैरिफ लगाने के बावजूद चीन के प्रति नरम रुख अपनाया गया है।
व्यापारिक तनाव का इतिहास
इस 90-दिन के विस्तार का असर न केवल अमेरिका और चीन की GDP पर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक बाजारों में भी अनिश्चितता बढ़ेगी। निवेशक सतर्क रुख अपना सकते हैं, और आयात-निर्यात पर निर्भर कंपनियों की लागत बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अगले 90 दिनों में कोई ठोस समझौता नहीं होता, तो टैरिफ दरें फिर से ऊंची हो सकती हैं, जिससे “ट्रेड वॉर 2.0” की शुरुआत हो सकती है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं मध्यस्थता की कोशिश कर सकती हैं, लेकिन यह रणनीतिक विराम दोनों देशों को वार्ता के जरिए मुद्दों को सुलझाने का मौका देगा।
चीन और अमेरिका की प्रतिक्रिया
चीन ने इस विस्तार को सकारात्मक संकेत के रूप में देखा है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, “हम आशा करते हैं कि अमेरिका चीन के साथ मिलकर दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के महत्वपूर्ण आम सहमति का पालन करेगा और समानता, सम्मान, और पारस्परिक लाभ के आधार पर सकारात्मक परिणाम हासिल करेगा।”
दूसरी ओर, ट्रंप का यह कदम उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की चिंताओं को नजरअंदाज करता है, जो मानते हैं कि चीन के साथ नरम रुख अमेरिका के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का चीन पर टैरिफ की समय सीमा 90 दिनों तक बढ़ाने का फैसला एक रणनीतिक कदम है, जो दोनों देशों को व्यापारिक विवाद सुलझाने का और समय देता है। हालांकि यह विस्तार तत्काल टकराव को टालता है, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के बिना यह स्थिति वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बन सकती है। अगले तीन महीनों में होने वाली वार्ता के परिणाम इस रिश्ते की दिशा तय करेंगे।












