ट्रम्प के टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव: RBI गवर्नर का बयान

8
trump tariff india 2025
trump tariff india 2025

6 अगस्त 2025 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी नीतिगत ब्याज दर को 5.5% पर अपरिवर्तित रखा, क्योंकि नीति निर्माता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रशासन द्वारा प्रस्तावित उच्च टैरिफ की अनिश्चितताओं और वैश्विक व्यापार नीतियों के बदलते परिदृश्य का आकलन कर रहे थे। ट्रम्प ने भारत से आयातित सभी वस्तुओं पर 25% टैरिफ लागू किया और रूस से तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त दंड की धमकी दी।

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं को विकास पूर्वानुमान में शामिल किया गया है, लेकिन इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अभी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था मजबूत बुनियादों और अवसरों के साथ स्थिर विकास पथ पर है। यह लेख ट्रम्प के टैरिफ और RBI के रुख की जानकारी देता है।

टैरिफ की घोषणा

31 जुलाई 2025 को ट्रम्प ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लागू करने की घोषणा की, जो 1 अगस्त से प्रभावी हुई। उन्होंने भारत को रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने के लिए “अनिश्चित दंड” की चेतावनी भी दी। ट्रम्प ने दावा किया कि भारत रूस के साथ व्यापार करके यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है।

भारत ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उसका तेल आयात वैश्विक बाजार की स्थिति और राष्ट्रीय हितों से प्रेरित है। यह व्यापार तनाव भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं को जटिल बना सकता है।

RBI का संशोधित विकास अनुमान

RBI ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विकास अनुमान को 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक व्यापार अनिश्चितताएँ, विशेष रूप से ट्रम्प के टैरिफ, इस संशोधन का कारण हैं।

हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है और घरेलू माँग इसे बाहरी चुनौतियों से बचाने में मदद करेगी। कृषि क्षेत्र की संभावनाएँ उज्ज्वल हैं, और विनिर्माण गतिविधियों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। सेवा क्षेत्र भी लचीलापन दर्शा रहा है, जो भारत की विकास कहानी को समर्थन देता है।

भारत की व्यापार स्थिति

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहाँ 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 186 बिलियन डॉलर था, जिसमें भारत का 41 बिलियन डॉलर का व्यापार अधिशेष था। भारत के प्रमुख निर्यात में दवाएँ, टेलीकॉम उपकरण, रत्न और आभूषण, और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं। ट्रम्प के टैरिफ से इन क्षेत्रों, विशेष रूप से रत्न, आभूषण, और इलेक्ट्रॉनिक्स, पर असर पड़ सकता है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि माँग 20-30% कम होती है, तो भारत को 5-6.75 बिलियन डॉलर का निर्यात नुकसान हो सकता है, जो GDP विकास को 0.15-0.2% प्रभावित करेगा। फिर भी, भारत की घरेलू उन्मुख अर्थव्यवस्था इसे अन्य एशियाई देशों की तुलना में कम प्रभावित करेगी।

भारत का जवाब

भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में कहा कि सरकार ट्रम्प के टैरिफ के प्रभावों का अध्ययन कर रही है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगी। भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ की आलोचना की, जो स्वयं रूस के साथ व्यापार करते हैं, फिर भी भारत के रूसी तेल आयात पर सवाल उठाते हैं।

विदेश मंत्रालय ने बताया कि 2024 में EU ने रूस के साथ 67.5 बिलियन यूरो का व्यापार किया। भारत ने रूस से तेल आयात को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आवश्यक बताया, जो 2022 से 35-40% तक बढ़ गया है। सरकार ने संकेत दिया कि वह रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा, क्योंकि यह सस्ता और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

वैश्विक व्यापार पर प्रभाव

ट्रम्प ने 69 देशों पर 10% से 41% तक के टैरिफ लगाए, जिसमें भारत पर 25% और ब्राजील पर 50% शामिल हैं। ये टैरिफ वैश्विक व्यापार को बाधित कर सकते हैं, जिससे भारत जैसे देशों के निर्यातकों को कीमतों में कटौती या नए बाजार तलाशने पड़ सकते हैं। मूडीज ने भारत के 2025 के विकास अनुमान को 6.1% तक घटा दिया, जिसमें रत्न, आभूषण, और चिकित्सा उपकरण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे।

हालांकि, भारत की सेवा निर्यात मजबूत बने हुए हैं, जो अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करते हैं। भारत अब अन्य देशों, जैसे बहरीन और कतर, के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है ताकि टैरिफ के प्रभाव को कम किया जाए।

RBI की नीति

RBI ने अपनी “न्यूट्रल” मौद्रिक नीति बनाए रखी और टैरिफ के प्रभाव को करीब से देखने का फैसला किया। मल्होत्रा ने कहा कि टैरिफ का मुद्रास्फीति पर सीमित प्रभाव होगा, क्योंकि भारत की मुद्रास्फीति का आधा हिस्सा खाद्य पदार्थों से आता है, जो वैश्विक व्यापार से कम प्रभावित होता है।

जून में मुद्रास्फीति छह साल के निचले स्तर पर थी, जिसने RBI को पहले 50 बेसिस पॉइंट की दर कटौती करने की अनुमति दी थी। हालांकि, रुपये पर दबाव और टैरिफ के कारण अब और दर कटौती की संभावना कम है। RBI का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों का सामना करने के लिए अच्छी तरह सुसज्जित है।

उद्योग की प्रतिक्रिया

उद्योग विशेषज्ञों ने टैरिफ को अल्पकालिक चुनौती माना, लेकिन भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं पर भरोसा जताया। PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स के सीईओ रंजीत मेहता ने कहा कि भारत का वैश्विक निर्यात में हिस्सा कम होने के कारण टैरिफ का प्रभाव GDP के 0.1% तक सीमित रहेगा।

भारतीय निर्यातक नए बाजारों, जैसे मरीन और आभूषण क्षेत्रों में, अवसर तलाश रहे हैं। सरकार की योजनाएँ, जैसे प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) और मेक इन इंडिया, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा दे रही हैं। यह रणनीति भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और मजबूत कर सकती है।

रूस के साथ व्यापार

भारत का रूस से तेल आयात युद्ध शुरू होने के बाद से 0.2% से बढ़कर 35-40% हो गया है, जिससे रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता बन गया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत का मासिक तेल आयात यूरोप के एक दोपहर के आयात से कम है।

सस्ता रूसी तेल भारतीय रिफाइनरियों, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, के लिए लाभकारी है, जो वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में मदद करता है। ट्रम्प के दबाव के बावजूद, भारत ने रूसी तेल आयात जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है। यह स्थिति भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाती है।

भारत की रणनीति

भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं, जो टैरिफ को 15-20% तक कम कर सकता है। भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों में रियायतें देने से इनकार किया है, जो वार्ताओं में रुकावट का कारण बना है। पूर्व RBI डिप्टी गवर्नर वायरल आचार्य ने सुझाव दिया कि टैरिफ भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

भारत BRICS और ASEAN जैसे मंचों के माध्यम से रूस और चीन के साथ सहयोग बढ़ा रहा है, लेकिन यह अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को भी बनाए रखना चाहता है। यह संतुलन भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को रेखांकित करता है।

Previous articleनोएडा में बैंक खाते में 1 अंडेसिलियन रुपये: तकनीकी गड़बड़ी या साइबर धोखाधड़ी?
Next articleरायबरेली में स्वामी प्रसाद मौर्य पर हमला: युवक ने मारा थप्पड़, समर्थकों ने की पिटाई