Prashant Kishor Game Changer Plan: किशोर को पार्टी में जल्द बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी में नेताओं का बड़ा तबका इसे गेम चेंजर के तौरपर देख रहा है।
Prashant Kishor Congress: प्रशांत किशोर सफल चुनावी रणनीतिकार हैं। उनके कांग्रेस में आने से गांधी परिवार (Gandhi Family) खासा खुश है। किशोर को पार्टी में जल्द बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी में नेताओं का बड़ा तबका इसे गेम चेंजर (Game Changer) के तौरपर देख रहा है। वहीं प्रशांत पार्टी (Prashant Kishor News) में टूट का भी कारण बन सकते हैं जनिए हम ऐसा क्यों कह रहे हैं।
कांग्रेस के अंदर कई हैं, जो गांधी परिवार के सामने अपने को पार्टी हितैषी होने का दम भरते रहते हैं। वो चाहते हैं कि अहमद पटेल जैसा कद उन्हें मिल जाए, दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, अंबिका सोनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अजय माकन और केसी वेणुगोपाल काफी समय से इस प्रयास में हैं कि सोनिया गांधी उन्हें अहमद पटेल का वारिस मान लें। लेकिन वो उम्मीद परवान न चढ़ सकी। कांग्रेस को इस समय प्रशांत किशोर जैसे बंदे की जरुरत है जो उसकी डूबती नैया को खिवैया बन के पार लगा सके। कई दौर कि मुलाकात के बाद दोनों में बात बनती नजर आ रही है। पार्टी प्रशांत को पद और कद देने को तैयार है। पार्टी में रहते प्रशांत गांधी परिवार को ही रिपोर्ट करेंगे। प्रबंध और रणनीतिक मामलों में उनका दखल होगा।
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कई नेताओं के लिए प्रशांत किशोर बढ़ाएंगे मुश्किल

इससे कई नेताओं को अपना भविष्य मुश्किल में नजर आने लगा है। कमलनाथ, अशोक गहलोत, गुलाम नबी आज़ाद जैसे नेताओं को लगता है कि जैसे वो अपनी बात गांधी परिवार से मनवाते रहे हैं वो प्रशांत के आने के बाद मुश्किल वाला हो जाएगा। क्योंकि किशोर फैक्ट्स के साथ बात करते हैं और जब उनका पद और कद दोनों बड़े होंगे तो ये मान मनवव्ल ज्यादा दिन चलेगी नहीं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि जिस तरह से गांधी परिवार ने प्रशांत का वेलकम किया वो खतरे की घंटी है। नेता चाहते है कि प्रशांत को सिर्फ रणनीति तक सीमित किया जाए उन्हें पार्टी में बड़ा पद नहीं देना चाहिए।
जी 23 के नेता कहते हैं कांग्रेस को प्रशांत के आने से कोई फायदा नहीं मिलने वाला। क्योंकि वो चुनाव प्रबंधन तो कर सकते हैं लेकिन उन्हें राजनीति की समझ नहीं है। पार्टी कोई कंपनी नहीं है। गांधी परिवार को निर्णय की ताकत अपने पास रखनी चाहिए।
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कांग्रेस नेता नहीं चाहते प्रशांत का रुतबा
जिस तरह से कांग्रेस में प्रशांत का विरोध हो रहा है वो इस बात के संकेत दे रहा है कि आने वाले समय में कई नेता पार्टी छोड़ सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि चुनाव प्रबंधन के दौरान प्रशांत हमेशा शीर्ष नेता के साथ रहते आए हैं, फिर वो पीएम नरेंद्र मोदी हों, ममता बनर्जी हों, नीतीश कुमार हों या कोई और। अब जबकि प्रशांत कांग्रेस में आने वाले हैं तो वो चाहते हैं कि वो सोनिया राहुल और प्रियंका के संपर्क में रहें। कोई और नेता उनसे सवाल जवाब न करे। कांग्रेस में नेताओं को इसी बात से दिक्कत है कि वो नहीं चाहते कि प्रशांत का रुतबा इतना अधिक बढ़ जाए कि उन्हें गांधी परिवार से मिलने में भी दिक्कत का सामना करना पड़े।
यूपी में प्रशांत के आने से उत्साह
यूपी कांग्रेस के नेता आशीष दीक्षित काफी उत्साहित दिख रहे हैं। उन्होंने कहा, पीके के पास इलेक्शन मैनेजमेंट का अच्छा अनुभव है। यदि वो पार्टी में बड़ा पद मांग भी रहे हैं तो उन्हें इसका हक है। कुछ नेता है जो किसी भी कीमत पर परिवार के साथ रहना चाहते हैं। इनको संगठन में इनको पद चाहिए। राज्यसभा सीट चाहिए। लेकिन जमीन पर ये मेहनत करने से कतराते हैं। उनको डर है कि पीके के आने के बाद उनकी पूछ कम हो जायगी। इसलिए वो पीके के खिलाफ माहौल बना रहे हैं।
वहीँ कांग्रेस के अशोक सिंह कहते हैं पीके के आने से पार्टी को यूपी में फायदा होना है। प्रियंका के साथ मिलकर वो संगठन को नए सिरे से खड़ा करेंगे। सबको पता है कि उनकी रणनीति सफल होती है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी में अच्छा प्रदर्शन करेगी।
कब-कब टूटी कांग्रेस
आजादी से पहले 1923 में मोतीलाल नेहरू ने स्वराज पार्टी बनाई। 1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अखिल भारतीय फॉरवर्ड ब्लॉक बनाया। 1951 में जेबी कृपलानी ने किसान मजदूर प्रजा पार्टी बनाई। 1956 में सी. राजगोपालाचारी ने इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई। 1964 में केएम जॉर्ज ने केरल कांग्रेस बनाई। 1967 में चौधरी चरणसिंह ने भारतीय क्रांति दल बनाया। 1978 में इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आर) बनाई।
ये नेता गए फिर वापस आए
प्रणब मुखर्जी, नारायणदत्त तिवारी, तारिक अनवर, अर्जुन सिंह, माधव राव सिंधिया, और पी.चिदंबरम कांग्रेस से निकले और फिर वापस भी आए।
इन्होने बनाया बड़ा कद
मुफ्ती मोहम्मद सईद, शरद पवार, ममता बनर्जी और जगन मोहन रेड्डीब ने अपने राज्यों में नई पार्टी का गठन किया और अपना कद भी बड़ा किया।
पार्टी के अंदरखाने से जो खबर मिल रही है उसके मुताबिक गांधी परिवार प्रशांत को खुले हाथ से काम करने का मौका देने का मन बना चुका है इसके बाद देखना होगा कि क्या पार्टी में फिर एक और टूट देखने को मिलेगी।











