उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया, जिसने भारतीय राजनीति में एक अप्रत्याशित हलचल पैदा कर दी। धनखड़, जो अगस्त 2022 से भारत के 14वें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्यरत थे, ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लिखे पत्र में कहा कि वे चिकित्सकीय सलाह का पालन करने और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए यह कदम उठा रहे हैं।
उनके कार्यकाल को 2027 तक पूरा होना था, लेकिन इस आकस्मिक इस्तीफे ने अगले उपराष्ट्रपति की नियुक्ति के लिए दौड़ शुरू कर दी है। यह लेख धनखड़ के इस्तीफे के कारणों, अगले उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया, संभावित उम्मीदवारों, और इसके राजनीतिक निहितार्थों पर चर्चा करता है।
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: पृष्ठभूमि और कारण
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में संविधान के अनुच्छेद 67(क) का हवाला दिया, जिसमें उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति को संबोधित पत्र के माध्यम से इस्तीफा देने का प्रावधान है। उनके पत्र में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद, और संसद सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया गया। धनखड़ ने अपने कार्यकाल को भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक उभार का साक्षी होने का गौरवपूर्ण अवसर बताया।
हालांकि, इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य बताया गया है। मार्च 2025 में धनखड़ को हृदय संबंधी समस्याओं के कारण दिल्ली के AIIMS में भर्ती किया गया था, और जून में नैनीताल विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मंच से उतरते समय वे बेहोश हो गए थे। इन घटनाओं ने उनकी स्वास्थ्य स्थिति पर सवाल उठाए थे। फिर भी, इस्तीफे की अचानक घोषणा ने कई सवाल खड़े किए, खासकर क्योंकि यह संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन हुई।
कुछ विपक्षी नेताओं, जैसे कांग्रेस के जयराम रमेश, ने संकेत दिया कि इसके पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं, हालाँकि उन्होंने इस स्तर पर अटकलों से बचने की सलाह दी।
उपराष्ट्रपति का चुनाव: प्रक्रिया
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। वर्तमान में, यह निर्वाचक मंडल 788 सांसदों (लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245) से मिलकर बनता है। उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है, और यदि कोई रिक्ति (मृत्यु, इस्तीफा, या हटाने के कारण) होती है, तो नया उपराष्ट्रपति पूरे पाँच वर्ष के लिए चुना जाता है, न कि केवल शेष कार्यकाल के लिए।
चुनाव प्रक्रिया निम्नलिखित है:
- निर्वाचन आयोग रिक्ति होने पर जल्द से जल्द चुनाव की अधिसूचना जारी करता है। संविधान में कोई निश्चित समयसीमा नहीं है, लेकिन यह सामान्यतः छह महीने के भीतर आयोजित होता है।
- मतदान संसद भवन में गुप्त मतपत्र के माध्यम से होता है, जिसमें सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता के आधार पर वोट देते हैं।
- उम्मीदवार को भारत का नागरिक, कम से कम 35 वर्ष की आयु का, और राज्यसभा की सदस्यता के लिए योग्य होना चाहिए। उसे कोई लाभ का पद धारण नहीं करना चाहिए।
- चुने गए उपराष्ट्रपति को पूर्ण पाँच वर्ष का कार्यकाल मिलता है।
धनखड़ के इस्तीफे के बाद, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह अस्थायी रूप से सभापति की जिम्मेदारी संभालेंगे। हरिवंश, जो जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद हैं, अगस्त 2022 से इस पद पर हैं और सरकार का विश्वास रखते हैं।
संभावित उम्मीदवार
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने अगले उपराष्ट्रपति के लिए अटकलों का दौर शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत है, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन को उम्मीदवार चुनने में लाभ है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी एक “ठोस और निर्विवाद” व्यक्ति को चुनेगी, जो विवादों से दूर हो। संभावित उम्मीदवारों में शामिल हैं:
- हरिवंश नारायण सिंह: वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति और जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद। उनकी अनुभवी छवि और सरकार के साथ अच्छे संबंध उन्हें मजबूत दावेदार बनाते हैं।
- जेपी नड्डा: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जिनका कार्यकाल जल्द समाप्त हो रहा है। वे अनुभवी संगठनात्मक नेता हैं और पूर्व में मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं।
- राजनाथ सिंह: वर्तमान रक्षा मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता। उनकी संतुलित और सम्मानित छवि उन्हें उपयुक्त बनाती है, हालाँकि मंत्रिमंडल में उनकी भूमिका इसे जटिल बना सकती है।
- नीतीश कुमार: बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता। NDA के सहयोगी के रूप में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है, और यह उनके लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
- निर्मला सीतारमण: वित्त मंत्री और राज्यसभा सांसद। उनकी वैश्विक छवि और नीतिगत विशेषज्ञता उन्हें मजबूत दावेदार बनाती है।
सोशल मीडिया पर अन्य नाम, जैसे योगी आदित्यनाथ, पवन कल्याण, और शशि थरूर, भी चर्चा में हैं, लेकिन ये ज्यादातर अटकलें हैं और इनकी संभावना कम है। विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस, ने धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं और इसे राजनीतिक रणनीति से जोड़ा है, लेकिन कोई ठोस उम्मीदवार सामने नहीं आया है।
धनखड़ का कार्यकाल: उपलब्धियाँ और विवाद
जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति के रूप में तीन वर्षीय कार्यकाल (2022-2025) उपलब्धियों और विवादों का मिश्रण रहा। राजस्थान के एक किसान परिवार से आने वाले धनखड़ ने वकालत से राजनीति तक का लंबा सफर तय किया। वे 2019 से 2022 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे, जहाँ उनकी ममता बनर्जी सरकार के साथ लगातार टकराव सुर्खियों में रहे।
उपराष्ट्रपति के रूप में, धनखड़ ने राज्यसभा में कड़ाई से नियम लागू किए, जिससे विपक्षी दलों के साथ तनाव बढ़ा। दिसंबर 2024 में, विपक्ष ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की कोशिश की, जिसे हरिवंश ने खारिज कर दिया। धनखड़ ने इस प्रस्ताव को “जंग खाए चाकू से बायपास सर्जरी” करने की संज्ञा दी थी। उनकी किसानों के मुद्दों पर स्पष्ट टिप्पणियाँ, जैसे दिसंबर 2024 में किसान आंदोलनों पर सरकार से सवाल पूछना, ने उन्हें सुर्खियों में रखा।
धनखड़ ने भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक स्थिति को बढ़ावा देने में योगदान दिया। उन्होंने OBC समुदाय, विशेष रूप से राजस्थान में जाट समुदाय के लिए आरक्षण की वकालत की। उनके कार्यकाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “प्रेरणादायक” और संविधान के प्रति उनकी गहरी समझ के लिए सराहा था।
राजनीतिक निहितार्थ
धनखड़ का इस्तीफा कई कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह मॉनसून सत्र के पहले दिन हुआ, जब उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग प्रस्ताव का उल्लेख किया। इस प्रस्ताव को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के बीच तनाव था, और धनखड़ के इस्तीफे ने इसे और जटिल बना दिया।
दूसरा, NDA के पास बहुमत होने से अगला उपराष्ट्रपति संभवतः उनकी पसंद का होगा। यह भाजपा को अपनी रणनीति को मजबूत करने और सहयोगी दलों, जैसे जनता दल (यूनाइटेड), को पुरस्कृत करने का अवसर देता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह इस्तीफा बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में आगामी चुनावों के लिए NDA की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस, ने इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाए हैं। जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ ने उसी दिन उनके साथ बातचीत की थी और बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक तय की थी। वे इसे “रहस्यमयी” मानते हैं और सरकार से धनखड़ को मनाने की माँग कर रहे हैं। AIMIM नेता वारिस पठान और CPI सांसद पी. संदोष कुमार ने भी इसकी अप्रत्याशितता पर आश्चर्य जताया।
अगले कदम
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने अभी तक इस्तीफे को स्वीकार करने की पुष्टि नहीं की है, लेकिन इसकी औपचारिकता मानी जा रही है। निर्वाचन आयोग जल्द ही नए उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव की तारीखों की घोषणा करेगा। तब तक हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा की कार्यवाही संचालित करेंगे। NDA के पास उम्मीदवार चुनने के लिए पर्याप्त समय है, और चर्चाएँ शुरू हो चुकी हैं।
सोशल मीडिया पर भी इस इस्तीफे ने हलचल मचाई है। कुछ यूजर्स इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से धनखड़ की हाल की मुलाकात या बिहार चुनाव से जोड़ रहे हैं, जबकि अन्य इसे स्वास्थ्य कारणों तक सीमित मानते हैं। कुछ ने राजनाथ सिंह को अगला उपराष्ट्रपति बताकर अटकलें शुरू कर दी हैं, लेकिन ये अभी अनौपचारिक हैं।
निष्कर्ष
जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। स्वास्थ्य कारणों से लिया गया यह निर्णय NDA को एक नया उपराष्ट्रपति चुनने का अवसर देता है, जो उनकी रणनीति और गठबंधन की गतिशीलता को प्रभावित करेगा। हरिवंश नारायण सिंह, जेपी नड्डा, और राजनाथ सिंह जैसे नाम चर्चा में हैं, लेकिन अंतिम फैसला भाजपा और NDA की रणनीति पर निर्भर करेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रियाएँ और संसद में हाल के घटनाक्रम इस प्रक्रिया को और रोचक बनाते हैं। निवेशकों और राजनीतिक विश्लेषकों को इस दौड़ पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि यह भारत की संसदीय और क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है।