इंडियन एनर्जी एक्सचेंज (IEX) के शेयर 24 जुलाई 2025 को 26% टूटकर 144.66 रुपये पर बंद हुए। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (CERC) ने डे-अहेड मार्केट (DAM) के लिए मार्केट कपलिंग लागू करने की मंजूरी दी, जो जनवरी 2026 से शुरू होगी।
इस फैसले ने IEX के एकाधिकार को चुनौती दी, जिसके पास स्पॉट मार्केट में 85% हिस्सेदारी थी। यह लेख मार्केट कपलिंग के प्रभाव, IEX की स्थिति, और निवेशकों के लिए इसके मायने बताता है। यह बदलाव बिजली व्यापार में पारदर्शिता और दक्षता लाने का प्रयास है।
मार्केट कपलिंग का अर्थ
मार्केट कपलिंग एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें सभी पावर एक्सचेंजों से खरीद-बिक्री के ऑर्डर एकत्रित होकर एक समान मार्केट क्लियरिंग मूल्य निर्धारित करते हैं। यह IEX जैसे प्लेटफॉर्मों की व्यक्तिगत मूल्य निर्धारण की शक्ति को खत्म करता है।
CERC ने पहले चरण में DAM के लिए कपलिंग को मंजूरी दी, जिसमें सभी एक्सचेंज राउंड-रॉबिन मॉडल में मार्केट कपलिंग ऑपरेटर (MCO) की भूमिका निभाएंगे। ग्रिड इंडिया बैकअप और ऑडिट के लिए चौथा ऑपरेटर होगा। यह बदलाव IEX के मूल्य निर्धारण के एकाधिकार को कमजोर करता है।
IEX पर प्रभाव
IEX ने अपनी विश्वसनीय मूल्य निर्धारण प्रणाली के कारण स्पॉट मार्केट में 85% हिस्सेदारी बनाए रखी थी। मार्केट कपलिंग इस लाभ को खत्म कर देगी, क्योंकि अब एक समान मूल्य सभी एक्सचेंजों पर लागू होगा। इससे प्रतिस्पर्धी एक्सचेंजों, जैसे PXIL और HPX, को वॉल्यूम हासिल करने का मौका मिलेगा।
बर्नस्टीन ने कहा कि यह फैसला उनकी अपेक्षा से अधिक नकारात्मक है। IEX का मार्केट शेयर अगले कुछ वर्षों में 60% तक गिर सकता है।
शेयरों में भारी बिकवाली
CERC के फैसले के बाद IEX के शेयरों में 4.4 करोड़ सेल ऑर्डर लंबित रहे। शेयर 23% की गिरावट के साथ 144.66 रुपये पर खुले और 10% लोअर सर्किट पर बंद हुए। बर्नस्टीन ने IEX पर ‘मार्केट-परफॉर्म’ रेटिंग बरकरार रखी, लेकिन लक्ष्य मूल्य 160 रुपये से घटाकर 122 रुपये कर दिया, जो 35% की संभावित गिरावट दर्शाता है।
यह नियामक जोखिम IEX को संस्थागत निवेशकों के लिए जोखिम भरा बनाता है। शेयर पिछले एक महीने में स्थिर रहे, लेकिन इस फैसले ने निवेशकों का भरोसा हिलाया।
नियामक और कार्यान्वयन योजना
CERC ने DAM कपलिंग को जनवरी 2026 तक लागू करने का आदेश दिया। ग्रिड इंडिया को टर्म-अहेड मार्केट (TAM) के लिए सॉफ्टवेयर विकसित करने और तीन महीने का शैडो पायलट चलाने का निर्देश दिया गया। रियल-टाइम मार्केट (RTM) के लिए कपलिंग बाद में होगी, क्योंकि इसके लिए और नियामक जाँच की जरूरत है।
CERC कर्मचारी स्टेकहोल्डर परामर्श शुरू करेंगे और पावर मार्केट रेगुलेशन्स 2021 में संशोधन प्रस्तावित करेंगे। यह प्रक्रिया बाजार में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
निवेशकों की प्रतिक्रिया
IEX में रिटेल शेयरधारकों की संख्या मार्च 2024 में 15.7 लाख से घटकर जून 2025 में 13.59 लाख हो गई। रिटेल हिस्सेदारी 39.25% से 29.42% तक कम हुई। इसके विपरीत, म्यूचुअल फंड्स (SBI MF, ICICI प्रूडेंशियल MF) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई।
FPI की हिस्सेदारी मार्च 2024 में 10% से बढ़कर जून 2025 में 18.5% हो गई। फिर भी, मार्केट कपलिंग की खबर ने भारी बिकवाली को ट्रिगर किया।
प्रतिस्पर्धा और चुनौतियाँ
मार्केट कपलिंग से अन्य एक्सचेंजों को वॉल्यूम बढ़ाने का मौका मिलेगा, जिससे IEX की आय और मार्जिन पर दबाव पड़ेगा। ट्रांजैक्शन शुल्क भी प्रतिस्पर्धा के कारण कम हो सकते हैं। IEX ने पहले कहा था कि कपलिंग से कोई लाभ नहीं दिखा, लेकिन CERC का फैसला अब इसे अनिवार्य बनाता है।
IIFL का अनुमान है कि कपलिंग से IEX का FY26 EPS 25% तक कम हो सकता है। यह बदलाव IEX को एकाधिकार से सामान्य प्रतिस्पर्धी एक्सचेंज में बदल देगा।
IEX की ताकत और अवसर
IEX अभी भी भारत का प्रमुख पावर एक्सचेंज है, जिसमें 8100 से अधिक स्टेकहोल्डर्स और 28 राज्यों में मौजूदगी है। इसने क्रॉस-बॉर्डर बिजली व्यापार शुरू किया है। बिजली की माँग 2030 तक 425 गीगावाट तक पहुँचने की उम्मीद है, जिसमें IEX लाभ कमा सकता है।
कंपनी की Q1FY26 आय, जो आज घोषित होगी, इसके भविष्य पर और स्पष्टता देगी। IEX नए उत्पादों और बाजार गतिशीलता के अनुकूलन में सक्षम रही है।
भविष्य की संभावनाएँ
मार्केट कपलिंग IEX की बाजार हिस्सेदारी को कम कर सकती है, लेकिन बढ़ती बिजली माँग इसका कुछ हद तक补偿 कर सकती है। यदि पावर एक्सचेंजों का हिस्सा 6% से बढ़कर 30% हो जाता है, तो IEX को कम हिस्सेदारी के बावजूद लाभ हो सकता है।
फिर भी, अल्पकालिक चुनौतियाँ, जैसे कम मार्जिन और वॉल्यूम का नुकसान, निवेशकों के लिए चिंता का विषय हैं। IEX को प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीति बदलनी होगी। यह नियामक बदलाव बिजली व्यापार के भविष्य को नया आकार देगा।
निष्कर्ष
CERC का मार्केट कपलिंग का फैसला IEX के लिए एक बड़ा झटका है। इसने कंपनी की मूल्य निर्धारण शक्ति और बाजार हिस्सेदारी को खतरे में डाल दिया है। निवेशकों में अनिश्चितता बढ़ी है, जैसा कि भारी बिकवाली से पता चलता है।
फिर भी, IEX की मजबूत उपस्थिति और बढ़ती बिजली माँग इसे दीर्घकालिक अवसर दे सकती है। यह नियामक बदलाव भारत के बिजली बाजार को अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बनाएगा।