e-रुपया (e-rupee) का नया कदम: भारत में डिजिटल करेंसी ने छुआ 100 शहरों का आंकड़ा
नई दिल्ली, 11 जून 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को ऐलान किया कि भारत की डिजिटल करेंसी e-रुपया (e-rupee) अब देश के 100 शहरों में लागू हो चुकी है।। यह भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और नकदी पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। 2022 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुआ e-रुपया अब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यह लेख e-रुपया के विस्तार, इसके लाभ, चुनौतियों, और भविष्य पर चर्चा करता है।
e-रुपया का नया पड़ाव
RBI ने 2022 में e-रुपया को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, और भोपाल में शुरू किया था। 11 जून 2025 को RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की कि यह डिजिटल करेंसी अब 100 शहरों में उपलब्ध है, जिनमें टियर-2 शहर जैसे जयपुर, लखनऊ, और पटना, साथ ही कुछ ग्रामीण क्षेत्र भी शामिल हैं। e-रुपया ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित है, जो इसे सुरक्षित और पारदर्शी बनाता है।
गवर्नर दास ने कहा, “e-रुपया डिजिटल भारत की नींव है। यह न केवल लेनदेन को आसान बनाएगा, बल्कि वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देगा।” RBI ने UPI के साथ e-रुपया को एकीकृत किया है, जिससे उपयोगकर्ता अपने मोबाइल वॉलेट से डिजिटल भुगतान कर सकते हैं।
e-रुपया की विशेषताएँ
e-रुपया एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) है, जो नकदी का डिजिटल विकल्प है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं:
-
सुरक्षा: ब्लॉकचेन तकनीक धोखाधड़ी को असंभव बनाती है।
-
उपयोगिता: ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के लेनदेन संभव हैं।
-
पहुँच: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देता है।
-
लागत: लेनदेन शुल्क नगण्य है, जो छोटे व्यापारियों के लिए फायदेमंद है।
लखनऊ के एक व्यापारी रमेश कुमार ने बताया, “e-रुपया से भुगतान तेज और सुरक्षित है। अब मुझे नकदी रखने की चिंता नहीं।”
पृष्ठभूमि और प्रगति
e-रुपया का विचार 2018 में शुरू हुआ, जब RBI ने क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते चलन को देखते हुए अपनी डिजिटल करेंसी पर काम शुरू किया। 2022 में पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद, 2023 में इसे 20 शहरों तक विस्तारित किया गया। 2025 में 100 शहरों तक पहुँचने का लक्ष्य डिजिटल भारत मिशन का हिस्सा है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, “e-रुपया नकदी के उपयोग को 50% तक कम कर सकता है। यह काले धन और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाएगा।” RBI ने बैंकों और फिनटेक कंपनियों, जैसे Paytm और PhonePe, के साथ मिलकर e-रुपया को लोकप्रिय बनाया है।
जनता और उद्योग की प्रतिक्रियाएँ
हिंदी समाचार पोर्टल्स, जैसे LiveHindustan, ने e-रुपया को “डिजिटल क्रांति” का प्रतीक बताया। उपभोक्ताओं ने इसकी सुविधा की सराहना की, विशेषकर छोटे शहरों में। पटना की एक गृहिणी सुनीता देवी ने कहा, “मैं अब बाजार में e-रुपया से खरीदारी करती हूँ। यह आसान और सुरक्षित है।”
टेक उद्योग ने भी इस कदम का स्वागत किया। इंफोसिस के CEO सलिल पारेख ने कहा, “e-रुपया भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में अग्रणी बनाएगा।” हालांकि, कुछ व्यापारियों ने डिजिटल साक्षरता और इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी को चुनौती बताया।
चुनौतियाँ और समाधान
e-रुपया के सामने कई चुनौतियाँ हैं:
-
डिजिटल साक्षरता: ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को प्रशिक्षण की जरूरत है।
-
साइबर सुरक्षा: हैकिंग और डेटा चोरी का खतरा बना हुआ है।
-
इंफ्रास्ट्रक्चर: छोटे शहरों में इंटरनेट और स्मार्टफोन की कमी।
RBI ने इन समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए हैं। डिजिटल साक्षरता अभियान शुरू किए गए हैं, और साइबर सुरक्षा के लिए विशेषज्ञों की एक टीम गठित की गई है। ऑफलाइन लेनदेन की सुविधा भी शुरू की गई है, जो बिना इंटरनेट के काम करती है।
वैश्विक संदर्भ
भारत का e-रुपया वैश्विक CBDC दौड़ में अग्रणी है। चीन का डिजिटल युआन और यूरोप का डिजिटल यूरो भी इसी दिशा में काम कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के प्रयासों की सराहना की और इसे “वित्तीय समावेशन का मॉडल” बताया। अधिक जानकारी के लिए RBI देखें।
भविष्य की संभावनाएँ
RBI ने 2026 तक e-रुपया को पूरे देश में लागू करने का लक्ष्य रखा है। यह डिजिटल भुगतान को मुख्यधारा बनाएगा और भारत को नकदी-मुक्त अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि e-रुपया भारत की GDP में 1% की वृद्धि कर सकता है।
वित्तीय विश्लेषक प्रिया शर्मा ने कहा, “e-रुपया भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। यह छोटे व्यवसायों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए वरदान है।”









