दिल्ली की आवारा कुत्तों की समस्या: मामला सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की बेंच में स्थानांतरित

On: August 14, 2025 9:59 AM
Follow Us:
delhi stray dogs supreme court

दिल्ली में आवारा कुत्तों के हमले और उनके प्रबंधन को लेकर चल रहे विवाद ने अब राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की बेंच में स्थानांतरित कर दिया गया है, जो इस जटिल मुद्दे को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

यह निर्णय तब लिया गया जब दिल्ली सरकार और पशु अधिकार संगठनों के बीच मतभेद बढ़ गए, जिसके कारण कुत्तों के नियंत्रण और सुरक्षा को लेकर कानूनी लड़ाई तेज हो गई।

मामला का इतिहास

यह मामला शुरू तब हुआ जब दिल्ली में आवारा कुत्तों के हमले में कई लोग घायल हुए, जिसमें बच्चे और वरिष्ठ नागरिक भी शामिल थे। स्थानीय निवासियों ने दिल्ली नगर निगम (MCD) और सरकार से कार्रवाई की मांग की, लेकिन पशु कल्याण संगठनों ने कुत्तों के पुनर्वास और नसबंदी पर जोर दिया।

Business Loan

Business Loan

Get personal loan up to 5 CR

Home Loan

Home Loan

Get home loan up to 50 lakhs

इस विवाद ने सुप्रीम कोर्ट का ध्यान आकर्षित किया, जिसने पहले एकल-न्यायाधीश बेंच को इसकी सुनवाई सौंपी थी। हाल के घटनाक्रम में, कोर्ट ने इसे अधिक गंभीरता से लेते हुए तीन-न्यायाधीशों की बेंच को सौंप दिया ताकि व्यापक और संतुलित निर्णय लिया जा सके।

मुख्य मुद्दे और तर्क

इस मामले में कई पक्ष शामिल हैं। एक ओर, दिल्ली के निवासी और कुछ संगठन दावा करते हैं कि आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है। दूसरी ओर, पशु अधिकार कार्यकर्ता तर्क देते हैं कि कुत्तों को मारना या हटाना पशु क्रूरता अधिनियम, 1960 का उल्लंघन होगा।

Aadhar Pe Loan

Aadhar Pe Loan

Get aadhar loan up to 1 lakhs

Personal Loan

Personal Loan

Get personal loan up to 5 lakhs

सरकार ने मध्य मार्ग अपनाने की कोशिश की, जिसमें नसबंदी और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना शामिल है, लेकिन इन प्रयासों को अपर्याप्त माना गया। कोर्ट में यह भी सवाल उठाया गया कि क्या मौजूदा नीतियाँ प्रभावी हैं और क्या नए नियमों की जरूरत है।

तीन-न्यायाधीशों की बेंच का गठन

तीन-न्यायाधीशों की बेंच का गठन इस बात का संकेत है कि मामला अब केवल स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नीति से जुड़ा हुआ है। यह बेंच विभिन्न हितधारकों, जैसे सरकार, MCD, पशु कल्याण संगठन, और नागरिकों के इनपुट को सुनने के लिए तैयार की गई है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी पक्षों को अपनी बात रखने का अवसर मिले, ताकि कोई भी पक्ष अनदेखा न हो।

मौजूदा स्थिति और प्रभाव

अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन इस मामले का सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरण ने इसे और गंभीर बनाया है। दिल्ली में कुत्तों के हमले की घटनाएँ बढ़ने से जनता में चिंता है, वहीं पशु प्रेमी इसे मानवीयता का सवाल मानते हैं। इस बीच, MCD ने नसबंदी अभियान को तेज करने की बात कही है, लेकिन संसाधनों की कमी और धीमी प्रगति ने इसे प्रभावी बनाने में बाधा डाली है।

राष्ट्रीय और सामाजिक संदर्भ

यह मामला केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है; देश के अन्य हिस्सों, जैसे गुजरात और महाराष्ट्र, में भी आवारा कुत्तों की समस्या ने चिंता जताई है। कुछ रिपोर्ट्स में बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों पर हमलों का उल्लेख है, जिसने जनता और सरकार के बीच बहस को और गहरा किया है। यह मुद्दा पशु कल्याण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को दर्शाता है।

आगामी कदम

तीन-न्यायाधीशों की बेंच इस मामले की अगली सुनवाई में सभी पहलुओं पर विचार करेगी, जिसमें वैज्ञानिक डेटा, नीतिगत ढांचा और जनता की राय शामिल हो सकती है। कोर्ट के फैसले से न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए एक मिसाल कायम हो सकती है।

BarwaSukhdav

Sharif ने 2015 में लॉन्च होने के बाद से एक वेब विशेषज्ञ के रूप में काम किया है। वर्षों से, उन्होंने कंपनी की वेब एक्सपर्ट टीम का नेतृत्व किया है और 10,000 से अधिक लेख प्रकाशित किए हैं - ब्रेकिंग न्यूज, शिक्षा, नौकरियों, समीक्षाओं का मिश्रण, सहायक, उद्योग विश्लेषण , और अधिक।