Climate Tech Investing 2025: क्लाइमेट टेक में निवेश 2025 की पहली छमाही में कम हुआ। वैश्विक फंडिंग 26% गिरकर 6.5 बिलियन डॉलर रही। लेकिन गैर-डाइल्यूटिव फंडिंग रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँची। भारत में क्लाइमेट स्टार्टअप्स चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। नीतिगत समर्थन ने आशा जगाई।
निवेश में गिरावट
क्लाइमेट टेक में निवेश कम हुआ। वैश्विक मंदी इसका कारण रही। ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र सबसे प्रभावित हुए। डील्स 15% घटीं। निवेशक जोखिम से बच रहे हैं।
गैर-डाइल्यूटिव फंडिंग का उछाल
गैर-डाइल्यूटिव फंडिंग ने राह दिखाई। यह 1.4 बिलियन डॉलर तक पहुँची। कॉरपोरेट अनुदान और सरकारी सब्सिडी बढ़ीं। यह स्टार्टअप्स के लिए नया अवसर है। भारत में यह रुझान बढ़ रहा है।
भारत में स्थिति
भारत में क्लाइमेट टेक स्टार्टअप्स को 500 मिलियन डॉलर मिले। सौर और पवन ऊर्जा पर ध्यान रहा। वेंचर कैपिटल फंडिंग 30% घटी। नीतिगत समर्थन ने राहत दी। सरकार ने ग्रीन प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन दिया।
वैश्विक परिदृश्य
यूरोप में फंडिंग स्थिर रही। अमेरिका में गिरावट दर्ज हुई। भारत और चीन में मिश्रित रुझान देखे गए। ग्रीन बॉन्ड्स ने निवेश को बढ़ाया। यह क्षेत्र दीर्घकालिक विकास का वादा करता है।
ताज़ा अपडेट्स
7 जुलाई 2025: भारत में ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स के लिए 100 मिलियन डॉलर की सब्सिडी।
9 जुलाई 2025: यूरोप में क्लाइमेट टेक डील्स 10% बढ़ीं।
10 जुलाई 2025: भारत ने क्लाइमेट स्टार्टअप्स के लिए नया फंड लॉन्च किया।
प्रभाव
क्लाइमेट टेक में कमी चिंता का विषय है। गैर-डाइल्यूटिव फंडिंग ने आशा जगाई। भारत में नीतियाँ स्टार्टअप्स को मज़बूत करेंगी। यह क्षेत्र जलवायु लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण है। निवेशकों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
निष्कर्ष
क्लाइमेट टेक में निवेश की कमी चिंताजनक है। लेकिन गैर-डाइल्यूटिव फंडिंग ने नई राह दिखाई। भारत की नीतियाँ इस क्षेत्र को मज़बूत करेंगी। जलवायु लक्ष्यों के लिए निवेश ज़रूरी है। यह दीर्घकालिक विकास का अवसर है।
FAQ
1. क्लाइमेट टेक में निवेश क्यों कम हुआ?
वैश्विक मंदी और भू-राजनीतिक तनाव इसका कारण हैं।
2. गैर-डाइल्यूटिव फंडिंग क्या है?
यह अनुदान और सब्सिडी है जो स्टार्टअप्स की इक्विटी नहीं लेती।
3. भारत में क्लाइमेट टेक के अवसर क्या हैं?
सौर, पवन, और ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट्स में निवेश बढ़ रहा है।
4. ग्रीन बॉन्ड्स क्या हैं?
ये पर्यावरणीय परियोजनाओं के लिए जारी किए गए बॉन्ड्स हैं।
5. निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?
दीर्घकालिक निवेश और नीतिगत समर्थन पर ध्यान दें।