चीन का ड्रैगनफ्लाई ड्रोन: AI-संचालित हथियार ने वैश्विक सैन्य संतुलन पर उठाए सवाल
बीजिंग, 11 जून 2025: चीन ने मंगलवार को अपने नए AI-संचालित सैन्य ड्रोन “ड्रैगनफ्लाई” का अनावरण किया, जिसे दुनिया के सबसे उन्नत सैन्य हथियारों में से एक माना जा रहा है। यह ड्रोन स्वायत्त रूप से लक्ष्य की पहचान कर हमला कर सकता है, जिसने वैश्विक सैन्य समुदाय में चिंता की लहर दौड़ा दी है। ड्रैगनफ्लाई की 5G और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) तकनीक इसे पारंपरिक ड्रोन्स से कहीं आगे ले जाती है। यह लेख ड्रोन की विशेषताओं, इसके विकास की पृष्ठभूमि, वैश्विक प्रतिक्रियाओं, और भविष्य के प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करता है।
ड्रैगनफ्लाई ड्रोन का परिचय
10 जून 2025 को बीजिंग में आयोजित एक सैन्य प्रदर्शनी में चीनी रक्षा मंत्रालय ने ड्रैगनफ्लाई को दुनिया के सामने पेश किया। इस ड्रोन की गति 500 किलोमीटर प्रति घंटा है, और यह मिसाइल, लेजर हथियार, और सेंसर से लैस है। ड्रोन की सबसे खास बात इसका AI सिस्टम है, जो बिना मानव हस्तक्षेप के लक्ष्य को पहचानकर हमला कर सकता है। चीनी रक्षा प्रवक्ता जनरल ली शाओ ने कहा, “ड्रैगनफ्लाई भविष्य के युद्ध का प्रतीक है। यह चीन की तकनीकी श्रेष्ठता को दर्शाता है।”
ड्रैगनफ्लाई का डिज़ाइन चीनी कंपनी DJI के कॉमर्शियल ड्रोन्स से प्रेरित है, लेकिन इसे सैन्य उपयोग के लिए पूरी तरह से संशोधित किया गया है। यह ड्रोन रडार से बचने की क्षमता रखता है और लंबी दूरी तक संचालित हो सकता है।
तकनीकी विशेषताएँ और क्षमताएँ
ड्रैगनफ्लाई की तकनीक इसे अन्य ड्रोन्स से अलग बनाती है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं:
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कृत्रिम बुद्धिमत्ता: AI सिस्टम वास्तविक समय में लक्ष्य की पहचान करता है और निर्णय लेता है।
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5G कनेक्टिविटी: यह तेज और सुरक्षित डेटा ट्रांसफर सुनिश्चित करता है।
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हथियार प्रणाली: ड्रोन मिसाइल, लेजर, और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग डिवाइस ले जा सकता है।
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स्वायत्तता: यह मानव नियंत्रण के बिना 12 घंटे तक उड़ान भर सकता है।
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रडार-रोधी डिज़ाइन: इसका स्टील्थ डिज़ाइन रडार सिस्टम से बचाता है।
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रैगनफ्लाई पारंपरिक युद्ध रणनीतियों को बदल सकता है। बीजिंग के रक्षा विश्लेषक वांग चेन ने कहा, “यह ड्रोन युद्ध के मैदान में गेम-चेंजर है। यह दुश्मन की रक्षा प्रणालियों को आसानी से भेद सकता है।”
विकास की पृष्ठभूमि
चीन पिछले एक दशक से ड्रोन तकनीक में भारी निवेश कर रहा है। 2010 के दशक में DJI ने कॉमर्शियल ड्रोन्स में वैश्विक बाजार पर कब्जा किया, और अब इस अनुभव का उपयोग सैन्य ड्रोन्स के लिए किया जा रहा है। ड्रैगनफ्लाई का विकास 2020 में शुरू हुआ, जब चीन ने अपनी सैन्य तकनीक को AI और 5G के साथ एकीकृत करने की योजना बनाई।
यह ड्रोन दक्षिण चीन सागर और भारत-चीन सीमा जैसे विवादित क्षेत्रों में रणनीतिक महत्व रखता है। 2020 के गलवान संघर्ष के बाद चीन ने अपनी ड्रोन क्षमता को और मजबूत किया। अधिक जानकारी के लिए South China Morning Post देखें।
वैश्विक प्रतिक्रियाएँ
ड्रैगनफ्लाई के अनावरण ने वैश्विक सैन्य समुदाय में हलचल मचा दी। अमेरिका ने इसे “वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा” बताया। पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा, “AI-संचालित हथियारों का दुरुपयोग मानवता के लिए खतरनाक है। हमें इसकी जाँच करनी होगी।” भारत ने भी चिंता जताई, क्योंकि ड्रैगनफ्लाई को लद्दाख जैसे क्षेत्रों में तैनात किया जा सकता है। भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, “हम अपनी ड्रोन-रोधी तकनीक को और मजबूत कर रहे हैं।”
हिंदी समाचार चैनलों, जैसे BBC Hindi, ने इसे “सैन्य दौड़ का नया अध्याय” बताया। दिल्ली के रक्षा विशेषज्ञ कर्नल (रि.) विनोद शर्मा ने कहा, “चीन का यह ड्रोन भारत के लिए चुनौती है। हमें DRDO की तकनीक को और उन्नत करना होगा।”
रूस और तुर्की जैसे देशों ने ड्रैगनफ्लाई की तकनीक की सराहना की, लेकिन मानवाधिकार संगठनों ने AI हथियारों पर प्रतिबंध की माँग की। ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा, “स्वायत्त हथियार युद्ध अपराधों को बढ़ावा दे सकते हैं।”
भारत पर प्रभाव
भारत-चीन सीमा पर ड्रैगनफ्लाई की तैनाती एक बड़ी चुनौती हो सकती है। भारत ने हाल ही में DRDO के “प्रचंड” ड्रोन-रोधी सिस्टम को तैनात किया है, जो AI ड्रोन्स को नष्ट कर सकता है। 2025 में भारत अपने स्वदेशी सैन्य ड्रोन्स, जैसे “घटक”, को भी तैनात करने की योजना बना रहा है। रक्षा मंत्रालय ने ड्रोन तकनीक के लिए बजट में 20% की वृद्धि की है। अधिक जानकारी के लिए DRDO देखें।
भविष्य की संभावनाएँ
ड्रैगनफ्लाई वैश्विक सैन्य संतुलन को प्रभावित कर सकता है। यह ड्रोन युद्ध की प्रकृति को बदल देगा, जहाँ मानव हस्तक्षेप कम होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अन्य देशों को AI हथियारों की दौड़ में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा। अमेरिका, रूस, और भारत पहले से ही समान तकनीक पर काम कर रहे हैं।
हालांकि, AI हथियारों की नैतिकता पर बहस तेज हो रही है। क्या स्वायत्त ड्रोन युद्ध में मानवीय मूल्यों को नजरअंदाज करेंगे? यह सवाल वैश्विक मंचों पर चर्चा का विषय बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र ने AI हथियारों पर एक सम्मेलन की योजना बनाई है।
जनता की प्रतिक्रियाएँ
हिंदी भाषी क्षेत्रों में ड्रैगनफ्लाई की खबर ने सैन्य तकनीक पर चर्चा को बढ़ावा दिया। लखनऊ के एक छात्र अमित तिवारी ने कहा, “चीन की तकनीक प्रभावशाली है, लेकिन भारत को भी अपनी रक्षा प्रणाली मजबूत करनी चाहिए।” सोशल मीडिया पर कई लोगों ने भारत से ड्रोन तकनीक में तेजी लाने की माँग की।