बिहार SIR विवाद: ओवैसी का ECI पर हमला, सुप्रीम कोर्ट में 10 जुलाई को सुनवाई

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Bihar SIR dispute Owaisi attacks ECI, hearing in Supreme Court on July 10
Bihar SIR dispute Owaisi attacks ECI, hearing in Supreme Court on July 10
नई दिल्ली, 7 जुलाई 2025: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) का छिपा हुआ तरीका बताकर लाखों मतदाताओं के अधिकारों पर खतरे की चेतावनी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने SIR पर अंतरिम रोक से इनकार कर दिया और मामले की सुनवाई 10 जुलाई 2025 को निर्धारित की है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी इस प्रक्रिया को अदालत में चुनौती दी है।

SIR का उद्देश्य

इलेक्शन कमीशन ने 24 जून 2025 को बिहार में SIR शुरू किया। यह 2003 के बाद पहली व्यापक मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया है। इसका लक्ष्य 7.96 करोड़ मतदाताओं की सूची से अयोग्य नाम हटाना और केवल पात्र नागरिकों को शामिल करना है। प्रक्रिया का मकसद स्वच्छ और सटीक वोटर लिस्ट सुनिश्चित करना है।
SIR की प्रक्रिया

ECI ने 77,895 बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) और 4 लाख वॉलंटियर्स को घर-घर जाकर फॉर्म्स बाँटने के लिए नियुक्त किया है। अब तक 6.86 करोड़ फॉर्म्स बाँटे गए और 38 लाख वापस लिए गए। अगर 25 जुलाई 2025 तक फॉर्म जमा नहीं होता, तो मतदाता का नाम ड्राफ्ट रोल से हट सकता है। दावे और आपत्तियों के लिए अगस्त तक समय दिया गया है।

दस्तावेज़ की आवश्यकता

मतदाताओं को अपनी और माता-पिता की जन्मतिथि या जन्मस्थान के दस्तावेज़ जमा करने होंगे। 1987 से पहले जन्मे लोगों के लिए 11 स्वीकार्य दस्तावेज़ों में से एक पर्याप्त है। 1987-2004 के बीच जन्मे लोगों को खुद और एक माता-पिता का दस्तावेज़ देना होगा। 2004 के बाद जन्मे लोगों के लिए दोनों माता-पिता के दस्तावेज़ ज़रूरी हैं।

ओवैसी की आपत्तियाँ

ओवैसी ने SIR को जल्दबाज़ी और अव्यवहारिक बताया। उनका कहना है कि यह बिहार के सीमांचल क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित और गरीब प्रवासी मज़दूरों को प्रभावित कर सकता है। 2004 में बिहार में जन्म पंजीकरण दर केवल 11% थी, जिससे कई लोगों के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं हैं। ओवैसी ने इसे NRC का छिपा तरीका बताकर आजीविका पर खतरे की बात कही।

विपक्ष का विरोध

RJD नेता तेजस्वी यादव ने ECI से मुलाकात कर SIR की समयसीमा पर सवाल उठाए। उन्होंने ECI के विज्ञापनों में असंगतता का आरोप लगाया। TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। ADR और PUCL ने SIR को संवैधानिक उल्लंघन बताकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

7 जुलाई को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जॉयमाला बागची की बेंच ने चार याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने अंतरिम रोक से इनकार किया, क्योंकि चुनाव अधिसूचित नहीं हुए हैं। अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि SIR का छोटा समय और सख्त नियम लाखों मतदाताओं को वंचित कर सकते हैं।

ECI का जवाब

ECI ने SIR को पारदर्शी और समावेशी बताया। प्रक्रिया में 1.5 लाख बूथ लेवल एजेंट्स और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। ECI ने कहा कि बिना दस्तावेज़ के भी फॉर्म स्वीकार किए जा सकते हैं, अगर BLOs स्थानीय जाँच से संतुष्ट हैं। ECI ने विपक्ष के आरोपों को गलत जानकारी करार दिया।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

SIR से मुस्लिम, दलित, SC/ST, और प्रवासी मज़दूर प्रभावित हो सकते हैं। ओवैसी ने RJD को महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव दिया, जिसे RJD ने खारिज कर दिया। यह विवाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को प्रभावित कर सकता है। अगर SIR लागू होता है, तो यह अन्य राज्यों में भी मतदाता संशोधन को प्रभावित करेगा।

निष्कर्ष

बिहार SIR विवाद ने विधानसभा चुनाव से पहले सियासी तनाव बढ़ा दिया है। ओवैसी और विपक्ष इसे मतदाता अधिकारों पर हमला बता रहे हैं, जबकि ECI इसे वोटर लिस्ट की शुद्धता के लिए ज़रूरी बताता है। सुप्रीम कोर्ट की 10 जुलाई की सुनवाई बिहार के 7.96 करोड़ मतदाताओं के लिए निर्णायक होगी। यह मामला लोकतंत्र की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाता है।

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