उत्तर प्रदेश के नोएडा में 20 वर्षीय युवक दीपक को उस समय सदमा लगा, जब उसे 3 अगस्त 2025 की रात अपने मृत माँ के कोटक महिंद्रा बैंक खाते में 37 अंकों की राशि जमा होने का नोटिफिकेशन मिला। यह राशि, जो ₹10,01,35,60,00,00,00,00,00,01,00,23,56,00,00,00,00,299 थी, लगभग 1 अंडेसिलियन रुपये के बराबर है। यह रकम वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के सकल घरेलू उत्पाद से भी अधिक थी।
कोटक महिंद्रा बैंक ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे गलत बताया और कहा कि खाते में ऐसी कोई राशि जमा नहीं हुई। यह लेख इस अजीबोगरीब घटना और इसके बाद की कार्रवाइयों की जानकारी देता है।
हैरान करने वाला नोटिफिकेशन
दीपक, जो ग्रेटर नोएडा के डंकौर का निवासी है, अपनी माँ गायत्री देवी के खाते का संचालन कर रहा था, जिनका दो महीने पहले निधन हो गया था। 3 अगस्त की रात, उसे एक नोटिफिकेशन मिला, जिसमें खाते में 37 अंकों की राशि जमा होने का दावा था।
शुरू में दीपक ने सोचा कि यह राशि ₹1.13 लाख करोड़ है, और उसने दोस्तों से शून्यों की गिनती में मदद माँगी। यह राशि इतनी बड़ी थी कि इसे समझना सामान्य व्यक्ति के लिए असंभव था। इस खबर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया, और लोग इसे मज़ाक के रूप में साझा करने लगे।
बैंक का खंडन
कोटक महिंद्रा बैंक ने 5 अगस्त 2025 को एक बयान जारी कर कहा कि ऐसी किसी असामान्य राशि के जमा होने की खबरें गलत हैं। बैंक ने यह नहीं बताया कि यह अफवाह कैसे शुरू हुई या क्या कोई धोखाधड़ी हुई। कुछ स्रोतों ने दावा किया कि दीपक ने सोमवार को बैंक जाकर इसकी पुष्टि की थी, लेकिन बैंक ने खाते को फ्रीज कर दिया।
बैंक ने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि दीपक नाम का कोई ग्राहक इस मामले से जुड़ा है या नहीं। इस अस्पष्टता ने साइबर धोखाधड़ी या तकनीकी गड़बड़ी की आशंकाओं को बढ़ा दिया।
तकनीकी गड़बड़ी की संभावना
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने इस घटना को NAVI UPI ऐप की तकनीकी गड़बड़ी से जोड़ा। यह गड़बड़ी खाते में गलत बैलेंस दिखाने का कारण बनी, जबकि वास्तव में खाते में शून्य राशि थी। दीपक ने बताया कि जब उसने इस राशि को स्थानांतरित करने की कोशिश की, तो लेनदेन विफल हो गया।
ग्रेटर नोएडा पुलिस ने भी पुष्टि की कि यह एक तकनीकी त्रुटि थी। इस तरह की गड़बड़ियाँ डिजिटल बैंकिंग में असामान्य नहीं हैं, लेकिन इतनी बड़ी राशि का प्रदर्शन अभूतपूर्व था।
आयकर विभाग की जाँच
बैंक ने इस मामले को आयकर विभाग को सौंप दिया, जिसने तुरंत जाँच शुरू की। दीपक के खाते को फ्रीज कर दिया गया, और किसी भी लेनदेन की अनुमति नहीं दी गई। आयकर विभाग यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या यह साइबर धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग, या सॉफ्टवेयर त्रुटि का मामला है।
इस तरह की घटनाएँ डिजिटल बैंकिंग की सुरक्षा पर सवाल उठाती हैं। दीपक ने कहा कि वह इस राशि को देखकर पहले उत्साहित हुआ, लेकिन जल्द ही उसे वास्तविकता का अहसास हुआ।
सोशल मीडिया पर हलचल
इस घटना का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने इसे और अधिक चर्चा में ला दिया। एक पत्रकार, सचिन गुप्ता ने इसकी जानकारी साझा की, जिसमें उन्होंने मजाक में कहा कि उनकी गणित कमजोर है और लोग शून्यों की गिनती करें।
कुछ ने इस राशि को भारत, अमेरिका, और चीन जैसे देशों के जीडीपी से बड़ा बताया। इसने न केवल लोगों का मनोरंजन किया, बल्कि डिजिटल बैंकिंग की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए। यह घटना जल्दी ही मज़ेदार मीम्स और चुटकुलों का हिस्सा बन गई।
दीपक की प्रतिक्रिया
20 वर्षीय दीपक, जो बेरोजगार है, ने बताया कि यह नोटिफिकेशन देखकर उसे लगा कि वह अब गरीब नहीं रहेगा। उसने अपने दोस्तों से इस राशि को समझने में मदद माँगी, क्योंकि वह शून्यों की गिनती नहीं कर पा रहा था। जब उसने बैंक से संपर्क किया, तो उसे बताया गया कि यह एक त्रुटि है और खाते में कोई राशि नहीं है।
दीपक ने निराशा व्यक्त की, लेकिन साथ ही राहत भी महसूस की कि यह कोई गंभीर धोखाधड़ी नहीं थी। उसकी कहानी ने लोगों के बीच सहानुभूति और हास्य दोनों पैदा किए।
डिजिटल बैंकिंग की चुनौतियाँ
यह घटना डिजिटल बैंकिंग में तकनीकी खामियों की ओर ध्यान खींचती है। हाल के वर्षों में, UPI और मोबाइल बैंकिंग ऐप्स की लोकप्रियता बढ़ी है, लेकिन गलत बैलेंस प्रदर्शन जैसी त्रुटियाँ उपयोगकर्ताओं में भ्रम पैदा करती हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह साइबर धोखाधड़ी का प्रयास हो सकता है, जहाँ स्कैमर बड़े लेनदेन दिखाकर उपयोगकर्ताओं को लुभाते हैं।
बैंकों को ऐसी त्रुटियों को रोकने के लिए अपने सिस्टम को मजबूत करने की आवश्यकता है। यह मामला डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा पर व्यापक चर्चा को बढ़ावा देता है।
इसी तरह की घटनाएँ
यह पहली बार नहीं है जब किसी बैंक खाते में गलत राशि प्रदर्शित हुई है। पहले भी, तमिलनाडु और बिहार में ग्राहकों के खातों में लाखों रुपये गलती से जमा होने की खबरें आई थीं। इन मामलों में भी तकनीकी त्रुटियाँ या साइबर धोखाधड़ी कारण थीं।बैंकों ने ऐसे मामलों में तुरंत खातों को फ्रीज कर जाँच शुरू की। दीपक का मामला अपनी विशाल राशि के कारण सुर्खियों में रहा, लेकिन यह डिजिटल बैंकिंग की कमजोरियों को उजागर करता है।