कार लाइसेंस से आप ट्रक और उससे भी भारी वाहन चला सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने लाइट मोटर वाहन लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक वजन वाले वाहन चलाने की अनुमति दे दी है। 5 जजों की बेंच ने 21 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बुधवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई डेटा नहीं है जो साबित करे कि देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं के लिए एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस धारक जिम्मेदार हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि यह मुद्दा एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस रखने वाले ड्राइवरों की आजीविका से जुड़ा है। कोर्ट ने केंद्र से कानून में संशोधन की प्रक्रिया जल्द पूरी करने को भी कहा।
इस फैसले से बीमा कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा?
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीमा कंपनियों के लिए झटका है। बीमा कंपनियां तब क्लेम खारिज कर रही थीं, जब एक निश्चित वजन के परिवहन वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते थे और ड्राइवर नियमों के मुताबिक उन्हें चलाने के लिए अधिकृत नहीं होते थे। 18 जुलाई 2023 को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने इस कानूनी मुद्दे से जुड़ी 76 याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। मुख्य याचिका बजाज अलायंस जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 3 बड़ी बातें
1. हल्के वाहन और परिवहन वाहन अलग-अलग श्रेणी नहीं हैं। दोनों के बीच ओवरलैप है। कानून व्यावहारिक और उपयोग योग्य होना चाहिए।
2. भारी सामान ले जाने वाले वाहनों को विशेष पात्रता होगी।
3. सड़क दुर्घटनाओं के पीछे के कारणों में लापरवाह और तेज गति से वाहन चलाना, सड़क की बनावट और यातायात नियमों का उल्लंघन शामिल हैं। इसके अलावा वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल करना, सीट बेल्ट न लगाना और हेलमेट न पहनना भी दुर्घटनाओं का कारण बनता है।
2017 के एक मामले से उठा सवाल
यह सवाल 2017 में एक मामले से उठा था। जब सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने मुकुंद देवांगन बनाम ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के मामले में फैसला सुनाया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसे ट्रांसपोर्ट वाहन, जिनका कुल वजन 7500 किलोग्राम से ज्यादा न हो, उन्हें LMV यानी हल्के मोटर वाहन की परिभाषा से बाहर नहीं रखा जा सकता।
बीमा कंपनियों ने क्या आरोप लगाया था
बीमा कंपनियों ने आरोप लगाया था कि अदालतें मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) और अदालतों को आदेश दे रही हैं कि वे एलएमवी ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें बीमा दावों का भुगतान करें। बीमा कंपनियों ने कहा कि अदालतें बीमा दावा विवादों का फैसला करते समय पॉलिसीधारक के पक्ष में फैसला दे रही हैं।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले से लाइट मोटर व्हीकल (एलएमवी) ड्राइविंग लाइसेंस धारकों को 7500 किलोग्राम तक वजन वाले वाहन चलाने की अनुमति मिल गई है। यह फैसला उन ड्राइवरों के लिए राहत भरी खबर है जो इस सीमा के वाहनों से अपना गुजारा करते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सड़क दुर्घटनाएं सिर्फ एलएमवी चालकों के कारण नहीं होती बल्कि इसमें लापरवाही, यातायात नियमों का उल्लंघन जैसे अन्य कारक भी शामिल होते हैं। इस फैसले से बीमा कंपनियों के दावों पर फर्क पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें ज्यादा मामलों में दावों का भुगतान करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कानून में संशोधन करने की भी मांग की है ताकि यह कानून व्यावहारिक हो सके।