परदेस में आपदा ने घेरा तो सोचा घर में महफूज रहेंगे। लेकिन मौत अपना जाल बिछाए रास्ते में ही बैठी थी। घर पहुंचने से पहले ही दो कामगार भाई हादसे का शिकार हो गए जबकि तीन जिदंगी-मौत के बीच जूझ रहे हैं। यह हादसा कुशीनगर के ढाढ़ा में हुआ है और हादसे का शिकार हुए मुंबई से मुजफ्फरनगर अपने घर ऑटो जा रहे बेबस कामगार।
कोराना आपदा से उपजी करुण दास्तानों में प्रवासी मजदूरों की व्यथा-कथा अंतहीन है। महामारी की पहली लहर ने जो दर्द दिया था, उसके बाद औरों की तरह मुजफ्फरपर, बिहार के संजय शाह और संतोश शाह ने भी तय किया था कि वापस मुंबई नहीं जाएंगे। लेकिन पेट की आग ने मजबूर कर दिया। महामारी का असर थोड़ा कम हुआ तो चंद महीने बाद दोनों फिर मुंबई चले गए। संतोष वहां ऑटो चलाता था, जबकि उसका भाई संजय मजदूरी करता था। दोबारा कदम जमते कि कोरोना ने फिर भयावह रूप दिखाया और जीवन पर संकट आ गया। ऐसे में एक बार फिर अपना वतन ही महफूज ठिकाना लगा।
तीन दिन पहले दोनों भाई तीन अन्य साथी मजदूरों के साथ अपने निजी ऑटो से मुंबई से मुजफ्फरनगर के लिए निकल पड़े। दिन-रात चलकर करीब डेढ़ हजार किलोमीटर का सफर तय कर चुके थे। यही कोई 300 किलोमीटर और दूर था उनका अपना वतन लेकिन शनिवार की भोर में कुशीनगर में ही दोनों भाइयों की जिंदगी की शाम हो गई।
कुशीनगर के हाटा कोतवाली क्षेत्र के ढाढ़ा चौराहे के समीप फोरलेन पर ऑटो अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकरा गया। ऑटो सवार अभी संभल पाते कि पीछे से तेज गति से आ रहे ट्रक ने जोरदार टक्कर मार दी। इससे ऑटो के परखच्चे उड़ गए। संजय शाह (40) पुत्र लोभित शाह निवासी चंदवारा थाना औराई, मुजफ्फरपुर की मौके पर ही मौत हो गई। हाटा पुलिस ने घायलों को हाटा सीएचसी भेजवाया। वहां डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। संजय के भाई संतोष शाह (35) की रास्ते में ही दम तोड़ दिया। पिछले लॉकडाउन में इसी ऑटो से दोनों भाई घर लौटे थे मगर इस बार उनकी जगह उनकी मौत की खबर घर पहुंची। विनोद शाह निवासी हरपुर सीतामढ़ी तथा धुरेन्द्र शाह निवासी चंदवारा, मुजफ्फरपुर का गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है, जबकि रामबाबू के परिजनों ने उसे पटना मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर करा लिया।